बुधवार, १५ जून, २०११

कई साल गुजर गये..

वो आए तो थे मोहल्ले में हमारें..
ना जाने क्यों हमारें घर नहीं आए...
पता नहीं उन्हे याद भी आती हैं के नहीं...
हमें देखे मुस्काराये थे वो..
शायद कई साल गुजर गये..

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