बुधवार, ३ फेब्रुवारी, २०१०

दिल में एक हलचल सी होती
कुछ ख्वाब लब्जोमें सिमट जाते हैं..
बस.. हम उन लब्जोको लिखते राहते हैं..
और कारवा बन जाता हैं...

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