मीच आहे फक्त माझा...
शनिवार, २ ऑक्टोबर, २०१०
वो ना जाने क्यूँ दिल में लिए बैठे हैं
के हम उन्हे भूल जाएँगे...
और हम पता नही कब से
उन्ही के नाम की साँसे ले रहे हैं...
उन्हे जाने क्यूँ लगता हैं
के हम बेवफा हैं
और हम हैं के उनकी खातिर
खुदा से भी बेवफ़ाई कर लेते हैं
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