रविवार, १७ जुलै, २०११

ज़िंदगी तो चलती रहेगी, हमें चलाने की ज़रूरत हैं|
ज़िंदगी के साथ आगे बढ़ने की ज़रूरत हैं|

कुछ भी हो कहीं थमे न ये ज़िंदगी,
ये ख़याल हमेशा ज़िंदा रखने की ज़रूरत हैं|

हर पल छाँव नसीब नहीं होगी,
कभी धूप में भी चलने की ज़रूरत हैं|

रास्ते और मंज़िले तो आते जाते रहेंगे,
बस हमें ज़िंदगी जीने की ज़रूरत हैं|

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